Raibareli-ग्राम प्रधान सरकार के सपनों को कर रहे चकनाचूर*

Raibareli-ग्राम प्रधान सरकार के सपनों को कर रहे चकनाचूर*

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रिपोर्ट-सुधीर अग्निहोत्री

*ग्राम प्रधान पर पीएम आवास के नाम पर 20 हजार व शौचालय के नाम पर दो हजार रुपये मांगने का आरोप*

*खंड़ विकास अधिकारी सरेनी से की गई भ्रष्टाचार में लिप्त ग्राम प्रधान की शिकायत*

*ग्राम पंचायत सरेनी में पात्रों को नहीं मिल रहा सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधाओं का लाभ*



सरेनी-रायबरेली-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम है कि सभी गरीबों का पक्का मकान हो और सभी के पास शौचालय हो!ताकि गरीब के सिर पर छत हो सके और कोई खुले में शौच करने न जाये,लेकिन पीएम मोदी के इस ड्रीम को पलीता लगाने में पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधि जुटे हुये हैं! हद तो यह है कि शौचालय और आवास के नाम पर आवंटियों से जो पैसे वसूले जाते हैं वे अधिकारियों के नाम पर लिये जाते हैं,किन्तु किसी गांव या नगर में यदि कोई इस बात की शिकायत करता है तो उसे अधिकारी भी गंभीरता से नहीं लेते हैं!उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कितने भी अभियान चलाने का काम करें,जीरो टॉलरेंस की बात कहें लेकिन कुछ अधिकारी और ग्राम प्रधान लोगों के साथ-साथ सरकार को भी लूटने का बखूबी काम कर रहे हैं!ऐसा ही एक मामला चर्चा का विषय बना हुआ है,जहां सरेनी ब्लॉक के अंतर्गत एक ग्राम प्रधान के ऊपर शौचालय व आवास दिलाये जाने के एवज में रुपये मांगने का आरोप है,जो कि क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है!ग्राम पंचायत सरेनी में ग्राम प्रधान जितेंद्र बहादुर सिंह द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार निरंतर जारी हैं!ऐसा ही एक मामला संज्ञान में आया है जिसमे गांव का ही एक गरीब व्यक्ति अमरेंद्र बहादुर सिंह पुत्र हरिनाथ सिंह से ग्राम प्रधान द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनवाए जा रहे शौचालय के नाम पर 2 हजार रूपए की मांग की,पैसे दे पाने में असमर्थता जताने पर लाभार्थी का शौचालय निरस्त करा दिया!जिसकी लिखित शिकायत पीड़ित द्वारा खण्ड विकास अधिकारी सरेनी से की गई!शिकायती पत्र में यह भी उल्लेख है की ग्राम प्रधान द्वारा प्रधानमंत्री आवास दिलवाने के नाम पर भी 20 हजार रुपए की मांग की गई!पीडित ने खंड विकास अधिकारी सरेनी से प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर अवैध वसूली की मांग कर रहे ग्राम प्रधान के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करने की मांग की है!वहीं दिए गए शिकायती पत्र के संबंध में खंड विकास अधिकारी सरेनी से जानकारी की गई तो उनका कहना है कि प्रार्थना पत्र की जांच की जाएगी,दोषी पाए जाने पर ग्राम प्रधान पर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी!

*...तो अधिकारियों द्वारा ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं शिकायतें*

देखा जाए तो जब कोई सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधाओं को हासिल करने के लिए जाता है तो अधिकतर ग्राम प्रधान यही कहते मिलते हैं कि कुछ पैसा खर्च होगा,क्योंकि बिना पैसे लिए कोई भी अधिकारी आवंटन नहीं करता है!ऐसी शिकायतें अक्सर कई गांवों या नगरों में मिलती है,किंतु शिकायत करने पर अधिकारी उस शिकायत को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं,जिससे लगता है कि दाल में कुछ काला जरूर है!

*जब मुखिया ही शोषण को तैयार,तो कहां से बहेगी विकास की बयार*

सरकार ने देश से भ्रष्टाचार को समाप्त करने और नौकरशाही पर लगाम कसने के लिए गांवों में पंचायतीराज को लागू किया है! सारे अधिकार पंचायतों को दे दिए हैं,ताकि गांव का प्रधान या सरपंच गांव में विकास की बयार ला सके और लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके,लेकिन जब इस योजना को धरातल पर उतारने की बात आती है तो कई बार पंचायत मित्र,ग्राम प्रधान व सरकारी कर्मियों द्वारा लाभार्थियों के शोषण करने का मुद्दा भी सामने आता है और ऐसे में गांवों में विकास की बयार बहना मात्र कोरी कल्पना के अतिरिक्त और कुछ नहीं!