*संचार-क्रांति, सूचना-प्रौद्योगिकी और नवाचार की भाषा के रूप में हिंदी रच रही नए आयाम - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव*

*संचार-क्रांति, सूचना-प्रौद्योगिकी और नवाचार की भाषा के रूप में हिंदी रच रही नए आयाम - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव*

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रिपोर्ट-केशवानंद शुक्ला

*विश्व में दूसरी सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा है हिंदी - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव*

*हिंदी सिर्फ राजभाषा व संपर्क भाषा नहीं, ज्ञान भाषा के रूप में हो रही विकसित - प्रो सत्यपाल शर्मा*

*डाक विभाग में हिंदी पखवाड़ा का आयोजन, विजेताओं को पोस्टमास्टर जनरल ने किया सम्मानित* 

हिन्दी सिर्फ साहित्य ही नहीं बल्कि विज्ञान से लेकर संचार-क्रांति, सूचना-प्रौद्योगिकी और नवाचार की भाषा भी है। हिंदी हमारी मातृभाषा के साथ-साथ राजभाषा भी है, ऐसे में इसके विकास के लिए जरुरी है कि हम हिंदी भाषा को व्यवहारिक क्रियाकलापों के साथ-साथ राजकीय कार्य में भी प्राथमिकता दें। सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है। हिन्दी अपनी सरलता, सुबोधता, वैज्ञानिकता के कारण ही आज विश्व में दूसरी सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा है। क्षेत्रीय डाक कार्यालय में 28 सितंबर को आयोजित हिंदी कार्यशाला और सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने व्यक्त किये। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग में प्रोफ़ेसर सत्यपाल शर्मा और कवि श्री दान बहादुर सिंह संग उन्होंने पखवाड़ा के दौरान आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के विजेताओं को सम्मानित भी किया। 

बतौर मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफ़ेसर सत्यपाल शर्मा ने कहा कि भारत के स्वाधीनता आंदोलन में हिंदी ने संपर्क भाषा और राष्ट्रभाषा के रूप में राष्ट्रीय एकता की निर्मिति में ऐतिहासिक योगदान दियाI आजादी के बाद संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गयाI राजभाषा के रूप में हिंदी के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए गए हैंI बदलते समय की चुनौतियों के अनुरूप राजभाषा, संपर्क भाषा और महत्वपूर्ण ज्ञानभाषा बने रहने के लिए हिंदी को तकनीकी रूप से और समृद्ध बनना होगाI हिंदी की सबसे बड़ी ताकत उसके बोलने वालों की बड़ी संख्या हैI लोकभाषा और जनभाषा के रूप में हिंदी भारतीय समाज के बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व हजारों वर्षों से करती रही हैI हिंदी का विरोध ज्ञानभाषा अंग्रेजी से नहीं बल्कि राजभाषा अंग्रेजी से है I

सहायक निदेशक राजभाषा श्री बृजेश शर्मा ने बताया कि डाक विभाग की ओर से हिंदी पखवाडे़ में कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें सभी कर्मचारियों, अधिकारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और हिन्दी पखवाड़े को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।

इस अवसर पर कवि श्री दान बहादुर सिंह ने अपनी कविताओं से शमां बांधा और लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। 

ये हुए सम्मानित-

निबंध प्रतियोगिता में अभिलाषा राजन, रामचंद्र  यादव, अजिता कुमारी, हिंदी टिप्पण एवं आलेखन प्रतियोगिता में शशिकांत वर्मा, राहुल कुमार वर्मा, राकेश कुमार, हिन्दी अनुवाद एवं शब्द ज्ञान प्रतियोगिता में शम्भू प्रसाद गुप्ता, श्रीप्रकाश गुप्ता, मनीष कुमार, हिंदी व्याकरण ज्ञान प्रतियोगिता में रामचंद्र यादव, राहुल कुमार वर्मा, अभिलाषा राजन, हिन्दी टंकण प्रतियोगिता में राकेश कुमार,अजिता कुमारी, मनीष कुमार एवं हिन्दी श्रुत लेखन प्रतियोगिता में प्रशांत पाण्डेय, अखिलेश मौर्य, इन्द्रजीत गौतम को क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार से पोस्टमास्टर जनरल और मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया।

 कार्यक्रम में सहायक निदेशक राजभाषा बृजेश शर्मा, अधीक्षक डाकघर पी.सी तिवारी, वरिष्ठ लेखाधिकारी एम.पी वर्मा, सहायक अधीक्षक अजय कुमार, सहायक लेखा अधिकारी संतोषी राय, डाक निरीक्षक श्रीकांत पाल, वीएन द्विवेदी, राजेन्द्र यादव, श्रीप्रकाश गुप्ता  सहित तमाम विभागीय अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सहायक अधीक्षक अजय कुमार ने किया।