रायबरेली के जिला जेल में शिक्षा के उजियारे से दूर होगा जरायम का अंधेरा

बंदी शिक्षा के जरिए न केवल अपनी सोच बदल सकेंगे, बल्कि जेल से बाहर निकलकर समाज में सम्मानजनक जीवन जीने की दिशा में भी कदम बढ़ा सकेंगे। प्रदेश के चुनिंदा जिलों में बंदियों के लिए यह सुविधा उपलब्ध है। रायबरेली जिला कारागार में हत्या, लूट, दुष्कर्म और चोरी जैसे मामलों में बंद ऐसे कई अभियुक्त हैं, जिन्होंने कक्षा 9 या 11 तक की पढ़ाई की है, लेकिन जेल में रहने के कारण पढ़ाई अधूरी रह गई।
एनआईओएस सेंटर खुलने से अब उनका सपना साकार हो सकेगा। वर्तमान में जेल में करीब 800 बंदी निरुद्ध हैं। एनआईओएस सेंटर खुलने के बाद 41 बंदियों ने पढ़ाई के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें 12 बंदी इंटर और 29 बंदी हाईस्कूल की पढ़ाई करेंगे। रायबरेली के अलावा अमेठी जिले के बंदी भी इस जेल में हैं, क्योंकि अमेठी में फिलहाल जिला कारागार की सुविधा नहीं है। अधिकारियों का प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा बंदी इस योजना से जुड़ें।
कॉपी-किताब मिलते ही शुरू होगी पढ़ाई
जेलर हिमांशु रौतेला के मुताबिक एनआईओएस द्वारा बंदियों को कॉपी, किताब व अन्य पठन-पाठन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। सामग्री मिलते ही पढ़ाई शुरू करा दी जाएगी। शिक्षा विभाग से दो शिक्षकों की मांग की गई है। तब तक हाईस्कूल और इंटर पास बंदी ही अन्य बंदियों को पढ़ाएंगे।
सुधार की दिशा में सार्थक कदम
जेल अधीक्षक प्रभात सिंह ने बताया कि एनआईओएस एक मान्यता प्राप्त बोर्ड है, जो माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षा प्रदान करता है। इसका सेंटर जेल में शुरू हो गया है। शिक्षा के जरिए बंदियों की सोच में सकारात्मक बदलाव आएगा और वे जेल से रिहा होने के बाद समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे।



