अखिलेश यादव ने एन वक़्त पर बदला खेल बाहुबली चंद्र भट्ट की वापसी क्या होगी मेनका गांधी के लिए चुनौती

अखिलेश यादव ने एन वक़्त पर बदला खेल बाहुबली चंद्र भट्ट की वापसी क्या होगी मेनका गांधी के लिए चुनौती

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उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीट मानी जाने वाली सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर मुकाबला टक्कर का होता जा रहा है. सुल्तानपुर सीट से बीजेपी की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी मैदान में हैं.

मेनका को टक्कर देने के लिए सपा ने यहां से राम भुआल निषाद को टिकट दिया है. सीट पर अगले चरण यानी छठे फेज में 25 मई को वोटिंग है, लेकिन इससे पहले सीट पर बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला है. सुल्तानपुर जिले की इसौली विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह मंगलवार को सपा में शामिल हो गए.

सुल्तानपुर में चंद्र भद्र की गिनती बाहुबली नेताओं में होती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. तब उन्होंने मेनका गांधी को कड़ी टक्कर भी थी. सीट पर इतना करीबी मुकाबला हो गया था कि मेनका गांधी मात्र 14,526 वोटों से जीत हासिल की थीं. मेनका गांधी को 459,196 वोट मिले थे जबकि चंद्र भद्र 4,44,670 वोट के साथ सीट पर दूसरे नंबर पर थे. चुनाव में बीजेपी और सपा के वोट प्रतिशत की बात करें तो 1 फीसदी से कुछ ज्यादा का अंतर था.

सुल्तानपुर में बिछने लगी है सियासी बिसात

अब चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने चंद्र भद्र सिंह को अपने पाले में ले लिया है. समाजवादी पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी गई है. सपा के मुखिया अखिलेश यादव को चंद्र भद्र बुके देते हुए नजर आए हैं. सपा के लिए चंद्र भद्र कितनी अहमियत रखते हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अखिलेश यादव खुद पूर्व विधायक का पार्टी में स्वागत करते हुए नजर आए हैं. सुल्तानपुर में सियासत की एक नई बिसात दोनों नेताओं के चेहरे पर साफ झलक रही थी.

चंद्र भद्र सपा के लिए नए नहीं, यह घर वापसी है

पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह सपा के लिए नए नहीं हैं. वो तीन बार के पूर्व विधायक हैं. सपा में आने से पहले वो बसपा में थे, लेकिन बसपा में उनकी एंट्री सपा से हुई थी. चंद्र भद्र पहली बार सपा से ही विधायक निर्वाचित हुए थे. बाद में उन्होंने बसपा ज्वाइन कर ली, लेकिन जब यूपी में योगी आदित्यनाथ की दूसरी बार सरकार बनने से पहले उन्होंने सभी पार्टियों से इस्तीफा दे दिया था. तब से अभी तक चंद्र भद्र निर्दलीय राजनीति करते आ रहे थे. एक दिन पहले वो किसी पार्टी का हिस्सा नहीं थे, लेकिन कुछ घंटे में सियासी खेल बदला और चंद्र भद्र ने सपा का दामन थाम लिया.

ठाकुर वोटरों पर मजबूत होगी पकड़

चंद्र भद्र सिंह ठाकुर जाति से आते हैं. सुल्तानपुर में ठाकुर मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है. चंद्र भद्र तीन बार के पूर्व विधायक हैं, ऐसे में उनके पास समर्थकों की भी अच्छी खासी संख्या है. खासकर ठाकुर में उनकी अच्छी पकड़ भी मानी जाती है. इसके अलावा सुल्तानपुर में उनकी गिनती बाहुबली नेताओं के रूप में होती है. ऐसे में ठाकुर के अलावा अन्य समुदाय के वोटरों में भी चंद्र भद्र अच्छी पैठ रखते हैं. पिछली बार के चुनाव में चंद्रभद्र सिंह सुल्तानपुर में अपनी सियासी बाहुबल का प्रदर्शन भी कर चुके हैं. ऐसे में चंद्र भद्र को इग्नोर तो नहीं किया जा सकता है.

क्या कहते हैं सुल्तानपुर के जातीय समीकरण?

अब सुल्तानपुर की जातीय समीकरण को समझ लेते हैं. इस सीट पर कुल वोटरों की संख्या 18 लाख 34 हजार 355 है. इसमें 80 फीसदी हिंदू और 20 फीसदी के आसपास मुस्लिम वोटर हैं. इस सीट पर सबसे ज्यादा करीब 22 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है. इसके अलावा ठाकुर, ब्राह्मण के साथ-साथ ओबीसी की बड़ी आबादी भी इस क्षेत्र में निवास करती है. चंद्र भद्र सिंह को लेकर कहा जाता है कि अनुसूचित और ओबीसी वोटरों के बीच में भी उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है.

इसलिए 25 मई को वोटिंग से ठीक पहले चंद्र भद्र सिंह का सपा में शामिल होना बीजेपी उम्मीदवार मेनका गांधी के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है. बीएसपी की ओर से उदय राज वर्मान के मैदान में उतरने के बाद से सीट पर पहले से ही त्रिकोणीय मुकाबला है. अब चंद्र भद्र सिंह सपा में शामिल होकर कहीं न कहीं मेनका गांधी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं. सपा के पास प्लस प्वाइंट ये भी है कि वो इंडिया गठबंधन का हिस्सा है.