रायबरेली-पानी बिन सूख गए तालाब,बेजुबानों की कैसे बुझे प्यास,,,,?

रायबरेली-पानी बिन सूख गए तालाब,बेजुबानों की कैसे बुझे प्यास,,,,?

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 रिपोर्ट-सागर तिवारी     


ऊंचाहार -रायबरेली-चिलचिलाती धूप और लू से परेशान इंसान तो अपने लिए पानी का इंतजाम कर ले रहा है। लेकिन सूखे पड़े तालाबों के बीच बेजुबानों को पेयजल नसीब नहीं हो रहा है। इसके चलते पशु पक्षियों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है।          जल स्रोतों को संरक्षित करने के लिए सरकार प्रत्येक वर्ष लाखों रुपए खर्च कर खुदाई सफाई कराती है। इन सारे प्रयासों के बावजूद भी पशु पक्षियों को पानी के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। जेष्ठ की चिलचिलाती धूप के बीच तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पहुंच रहा है। लेकिन सूखे पड़े तालाबों में पानी भरवाने के लिए प्रशासन की ओर से अभी तक कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। जल स्रोतों में बरसात का संरक्षित पानी गर्मी के समय बेजुबानों के लिए अमृत समान होता है। फिर भी आलम यह है कि अधिकतर तालाब सूखे पड़े हैं। जिन तालाबों में पानी भरा है उनमें लोग मछली पालन कर रहे हैं। जिनके दिन-रात रखवाली के चलते बेजुबान मवेशियों को वहां पानी नहीं मिल पाता। तेज धूप में वनैले पशु पक्षी, जंगली जानवर भी इस आस से तालाबों तक पहुंच रहे हैं, कि उन्हें पीने के लिए पानी मिल जाएगा। लेकिन बेजुबान तालाब तक पहुंचने के बाद निराश होकर वापस लौट जाते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर प्रशासन सूखे पड़े इन जल स्रोतों में पानी भरवाने के लिए स्थानीय जिम्मेदारों को कब निर्देशित करेगा। इस बाबत एसडीएम सिद्धार्थ चौधरी ने बताया कि खंड विकास अधिकारी को निर्देशित कर जल्द ही सूखे पड़े तालाबों में पानी भरवाया जाएगा। जिससे बेजुबान पशु पक्षी अपनी प्यास बुझा सकें।