रायबरेली-मां बोले– बेटा मेरा, हक भी मेरा,पत्नी बोली– मैं विधवा हूं, नौकरी मुझे दो,,,,

रायबरेली-मां बोले– बेटा मेरा, हक भी मेरा,पत्नी बोली– मैं विधवा हूं, नौकरी मुझे दो,,,,
रायबरेली-मां बोले– बेटा मेरा, हक भी मेरा,पत्नी बोली– मैं विधवा हूं, नौकरी मुझे दो,,,,

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   रिपोर्ट-सागर तिवारी

- कोर्ट में फैसला तय करेगा वारिस : मां या पत्नी, किसे मिलेगी सरकारी नौकरी और सुविधाएं?

ऊंचाहार/रायबरेली- ऊंचाहार में तैनात रहे दरोगा विवेक सरोज की मौत के बाद परिवार में छिड़ी जंग, 
पति की मौत के बाद उसकी सरकारी नौकरी और अन्य लाभों पर पत्नी और सास के बीच हकदारी को लेकर जोरदार विवाद खड़ा हो गया है। यह मामला अब गांव-गांव की चौपाल से लेकर कोर्ट तक पहुंच चुका है।

जानकारी के मुताबिक, विवेक कुमार सरोज की अचानक मौत के बाद घर की जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई। बताया जाता है कि विवेक की पत्नी महिमा देवी सरोज शादी के कुछ समय बाद ही मायके चली गई थी और वहीं रह रही थी। उनके कोई संतान भी नहीं है।

परिवारजनों का कहना है कि विवेक की मां ने बेटे के जीते-जी भी उसकी देखभाल की और अब बेटे की मौत के बाद वही अकेली रह गई हैं। ऐसे में नौकरी और सरकारी सुविधाओं का हक सास का बनता है। परिवार का आरोप है कि महिमा देवी पति की मौत के बाद केवल सरकारी नौकरी और वित्तीय लाभ पाने के लिए दावा कर रही हैं, जबकि उन्होंने विवेक और उसकी मां से वर्षों तक कोई रिश्ता नहीं रखा।

गांव में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग कह रहे हैं कि जो मां ने बेटे को पाला, उसे ही उसका हक मिलना चाहिए। वहीं पत्नी का पक्ष है कि कानूनी रूप से वह विवेक की विधवा हैं और नौकरी व अन्य लाभ उन्हीं को मिलने चाहिए।

फिलहाल यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है और फैसला आने तक दोनों पक्षों की टकराहट बनी हुई है। परिजन साफ कह रहे हैं कि विवेक की पत्नी का कोई लेना-देना नहीं है, सारा हक मां का है। दूसरी ओर पत्नी कानून का हवाला देते हुए अपना दावा ठोक रही है।

गांव में लोगों  का कहना है मां ने जन्म दिया हैं। उनका हक  है समर्थन में खड़ा है। अब सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं, जो तय करेगा कि आखिर सरकारी नौकरी और लाभ पर किसका अधिकार होगा – मां का या पत्नी का।